जाते जाते जाने क्या छोड़ के जाऊंगा,
डरता हूं, क्या याद किसी को आऊंगा?
आऊंगा गर याद, तो कैसे आऊंगा,
हसाऊंगा, रुलाऊंगा, सताऊंगा,
या फिर, कोई फर्क नहीं दिलाऊंगा..
क्या बंदा था वो,
क्या खुशदिल इंसा था वो,
सुलझा, सुथरा पन्ना था वो,
जो भी था, अपना था वो,
ऐसे कुछ एहसास जगाऊंगा,
या फिर,
कुछ ऐसे याद किया जाऊंगा,
क्यायायाया.. इंसा था वो,
इंसान था या कुछ और ही था वो,
जीते जी किसी का हो ना सका,
ना हंसा कभी, कभी रो ना सका,
ना पाया कुछ, कभी कुछ खो ना सका,
ऐसे तो ना याद किया जाऊंगा?
दुनिया में ना सही, दिलों में क्या मैं रह पाऊंगा,
जाते जाते जाने क्या छोड़ के जाऊंगा ।
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